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तंबाकू का अवैध व्यापार रोकने हेतु वेंडर लाइसेंसिंग प्रणाली आवश्यक

तम्बाकू के अवैध व्यापार की रिपोर्ट का विमोचन करते हुए पूर्व आईएएस राजेन्द्र भाणावत ने कहा कि भारत में हर वर्ष लगभग 13 लाख से अधिक लोगों की तम्बाकू सेवन के कारण अकाल मृत्यु हो जाती है यानी कि हमारे देश में प्रतिदिन करीब 3500 लोग तम्बाकू के सेवन के कारण विभिन्न बीमारियों से मर रहे है ।  तम्बाकू व्यापार पर कमजोर नीतियों और नियमों के कारण भारत में चबाने और धूम्रपान करने वाले तंबाकू उत्पाद बेहद सस्ते है और आसानी से आमजन के लिए उपलब्ध हैं । तंबाकू उत्पादों पर कम टैक्स, कमजोर कराधान और नियमों के कारण भारत में तम्बाकू का एक बड़ा अवैध और बेहिसाब व्यापार लगातार पनप रहा है । रियेक्ट (रिसर्च एक्शन फॉर टोबैको कंट्रोल) स्वतंत्र शोधकर्ताओं का एक नेटवर्क है जो तंबाकू नियंत्रण के मुद्दों को उजागर करने की दिशा में काम करता है । हाल ही में रियेक्ट द्वारा ‘भारत में अवैध तंबाकू व्यापार: सरकारें हमें क्या बताती हैं?’ नाम से रिपोर्ट जारी की गयी है । रिपोर्ट में शोधकर्ताओं द्वारा सार्वजनिक रूप से उपलब्ध सरकारी दस्तावेजों का अध्ययन किया है और पाया कि विभिन्न सरकारी विभाग तंबाकू उद्योगो द्वारा किए गए अवैध व्यापार के तरीकों का रिकॉर्ड करते हैं। पिंकसीटी प्रेस क्लब में डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार भारत के तंबाकू उद्योग का दावा है कि उसका व्यवसाय वैध है और अवैध जो विदेशी ब्रांडों द्वारा भारत में तम्बाकू का अवैध व्यापार किया जाता हैं। रियेक्ट ने भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, राजस्व खुफिया निदेशालय (डिरेक्टरेट ऑफ रेविन्यू इन्टेलिजेन्स) , केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड और संसद द्वारा तम्बाकू उद्योग पर जारी की गयी विभिन्न रिपोर्ट्स जो कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है उनकी समीक्षा की और पाया कि तम्बाकू कम्पनियां विशेषकर सिगरेट और पान मसाला कंपनियां भारत सरकार को धोखा देने के लिए गलत कर या राजस्व प्राप्त कर रही हैं और भारत में तम्बाकू के अवैध व्यापार को बढ़ावा दे रही है। बार्क के नासिरअहमद ने बताया कि रिपोर्ट के अनुसार 2009-2018 के बीच भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की कम से कम 108 प्रकार की रिपोर्टस से मिली जानकारी और उनका अध्यन करने से पता चलता है कि तंबाकू उद्योग कर का भुगतान ना  करने और अपने उत्पादों को अवैध रूप से बेचने के लिए विभिन्न प्रकार के उपाय निकालता है । इन रिपोर्टों के अध्यन से रियेक्ट के शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि तम्बाकू उद्योग ने विभिन्न तरीकों से भारत सरकार को कम से कम 390.38 करोड़ रु. का धोखा दिया है । रियेक्ट की रिपोर्ट में डीआरआई की रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया गया है कि भारतीय ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों का उपयोग करते हुए तस्करी कि गई है । इसी प्रकार रिपोर्ट में भारतीय संसद रिकॉर्ड में तंबाकू उद्योग के आपराधिक नेटवर्क के लिंक के साथ-साथ तंबाकू उद्योग द्वारा उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क के कम से कम 189 धोखाधड़ी मामलों की रिपोर्ट का भी हवाला दिया गया है  जिसकी राशि 100 करोड़ रुपये से अधिक बताई गयी है । रियेक्ट रिपोर्ट में विभिन्न केस स्टडीज द्वारा तम्बाकू उद्योग द्वारा किये जाने वाले अवैध तम्बाकू व्यापार और धोखाधड़ी का खुलासा किया गया है । रियेक्ट रिपोर्ट केंद्र सरकार को तीन व्यापक सिफारिशें भी करती है । प्रथम यह कि सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा और राजस्व में सुधार करने के लिए तंबाकू उत्पादों को भी अन्य हानिकारक उत्पादों जैसे कि शराब और बंदूकों की टैक्स उत्पादों की श्रेणी में साथ रखा जाना चाहिए । रिपोर्ट सिफारिश करती है कि तम्बाकू की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने से शासन के लिए संपार्श्विक लाभ होगा और समग्र कर प्रशासन, अनुपालन और प्रवर्तन में सुधार होगा जिससे तम्बाकू का अवैध व्यापार कम होगा और सरकार को उच्च राजस्व प्राप्त होगा । दूसरी सिफारिश यह कि भारत सरकार को तंबाकू क्षेत्र की निगरानी के लिए खेती से लेकर उपभोग तक एक मजबूत डेटा और सूचना प्रणाली विकसित करनी चाहिए जिससे बेहतर राजकोषीय प्रबंधन और विनियमन हो सके । तीसरी यह कि गुड्स एंड सर्विस टैक्स काउंसिल को एक मुद्रास्फीति से जुड़ी डायनेमिक टैक्स दर को अपनाना चाहिए और इसे उत्पादों के बीच सेगमेंट और स्लैब जैसे सभी भेदों को दूर करना चाहिए व चरणबद्ध तरीकों से तंबाकू व्यापार को सब्सिडी और रियायतें देनी चाहिए तथा सभी प्रकार से तम्बाकू उत्पादों को सिन टैक्स के दायरे में लाना चाहिए । रियेक्ट की रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि राज्य सरकारें शराब के लाइसेंस प्रणाली प्रक्रिया जैसे प्रावधान करते हुए तम्बाकू वेंडर लाइसेंस प्रक्रिया बनाते हुए तम्बाकू के अवैध व्यापार को कम करती हैं ।

हालाँकि, अनुसंधान से पता चला है कि एक मजबूत प्रशासित कर प्रणाली प्रभावी रूप से तंबाकू उत्पादों के खुदरा मूल्यों में वृद्धि के साथ-साथ राजस्व में भी वृद्धि सकती है जिससे युवाओं और अन्य वर्ग के लोगों के लिए तम्बाकू उत्पाद आसानी से उपलब्ध नहीं हो सकेंगे और समय रहते लाखों लोगों की जान बचायी जा सकती है । इस अवसर ओर जन स्वास्थ्य अभियान से छाया पंचोली, सामाजिक कार्यकर्ता धर्मवीर कटेवा, सवाई सिंह व राजन चौधरी ने विचार व्यक्त किये। अंत में, जहां दुनिया में हर वर्ष 90 लाख से अधिक हर वर्ष तम्बाकू खाने पीने से मर जाते हैं,  जिसको रोकने के लिए वर्ष 2030 तक तम्बाकू मुक्त भारत की मांग को स्थापित कर तंबाकू मुक्त युवा पीढ़ी बनाने की आवश्यकता है। “

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