राजस्थान आवासन मंडल ने उच्च न्यायालय में बेहतर पैरवी कर दो दशक से भी पुराने चल रहे मामले में जीत हासिल की लगभग 65 करोड़ राशि की 6350 वर्ग मीटर बेशकीमती भूमि का स्वामित्व हासिल कर लिया है।
आवासन आयुक्त पवन अरोड़ा ने बताया कि मण्डल की सम्पत्ति आवंटन समिति ने वर्ष 2001 में महात्मा ज्योतिबाफुले राष्ट्रीय संस्थान को मानसरोवर आवासीय योजना जयपुर के सैक्टर-5 में सामुदायिक विकास केन्द्र के निर्माण के लिए 6350 वर्ग मीटर भूमि आवंटित की। संस्था को भूमि के आवंटन पत्र प्राप्त करने के लिए 50 लाख 60 हजार 633 रुपए की राशि तीन माह में जमा करवानी थी। संस्था द्वारा बार बार नोटिस देने के बावजूद राशि जमा नहीं कराई गई।
अरोड़ा ने बताया कि आवंटन राशि जमा नहीं करवाने पर वर्ष 2004 में संस्था को आवंटित भूमि का आवंटन निरस्त कर जमा 2 प्रतिशत राशि जब्त कर ली गई। इस पर संस्था ने मण्डल के विरूद्ध राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और 2007 में स्थगन ले लिया। मंडल द्वारा बेहतर पैरवी करने पर उक्त अपील में उच्च न्यायालय द्वारा 11 जुलाई को 2023 को निर्णय पारित कर अपील खारिज कर दी गई, जिससे मण्डल की भूमि से स्थगन आदेश हट गया और लगभग 6350 हजार वर्ग मीटर भूमि (लागत लगभग 65 करोड) मण्डल के स्वामित्व में आ गई।
अरोड़ा ने कहा कि वर्षों पुराने ऐसे कई विवादास्पद मामलों में मंडल की टीम योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। मंडल की भूमि पर किसी भी स्तर पर अनुचित कब्जा, अतिक्रमण नहीं होने दिया जाएगा।